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भारत सरकार ने केंद्रीय बीज समिति के परामर्श के बाद गन्ने की 10 नई किस्में जारी की हैं

भारत सरकार ने केंद्रीय बीज समिति के परामर्श के बाद गन्ने की 10 नई किस्में जारी की हैं

गन्ना किसानों के लिए 10 उन्नत किस्में बाजार में उपलब्ध की गई हैं। बतादें, कि गन्ने की इन उन्नत किस्मों की खेती आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र, यूपी, हरियाणा, मध्य प्रदेश और पंजाब के किसान बड़ी सुगमता से कर सकते हैं। चलिए आज हम आपको इस लेख में गन्ने की इन 10 उन्नत किस्मों के संबंध में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे। भारत में गन्ना एक नकदी फसल है। गन्ने की खेती किसान वाणिज्यिक उद्देश्य से भी किया करते हैं। बतादें, कि किसान इससे चीनी, गुड़, शराब एवं इथेनॉल जैसे उत्पाद भी तैयार किए जाते हैं। साथ ही, गन्ने की फसल से तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, हरियाणा, उत्तर-प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों के किसानों को बेहतरीन कमाई भी होती है। किसानों द्वारा गन्ने की बुवाई अक्टूबर से नवंबर माह के आखिर तक और बसंत कालीन गन्ने की बुवाई फरवरी से मार्च माह में की जाती है। इसके अतिरिक्त, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से गन्ना फसल को एक सुरक्षित फसल माना गया है। इसकी वजह यह है, कि गन्ने की फसल पर जलवायु परिवर्तन का कोई विशेष असर नहीं पड़ता है।

भारत सरकार ने जारी की गन्ने की 10 नवीन उन्नत किस्में

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने केंद्रीय बीज समिति के परामर्श के पश्चात गन्ने की 10 नवीन किस्में जारी की हैं। इन किस्मों को जारी करने का प्रमुख लक्ष्य गन्ने की खेती करने के लिए गन्ने की उन्नत किस्मों को प्रोत्साहन देना है। इसके साथ ही गन्ना किसान ज्यादा उत्पादन के साथ बंपर आमदनी अर्जित कर सकें।

जानिए गन्ने की 10 उन्नत किस्मों के बारे में

गन्ने की ये समस्त उन्नत किस्में ओपन पोलिनेटेड मतलब कि देसी किस्में हैं। इन किस्मों के बीजों की उपलब्धता या पैदावार इन्हीं के जरिए से हो जाती है। इसके लिए सबसे बेहतर पौधे का चुनाव करके इन बीजों का उत्पादन किया जाता है। इसके अतिरिक्त इन किस्मों के बीजों का एक फायदा यह भी है, कि इन सभी किस्मों का स्वाद इनके हाइब्रिड किस्मों से काफी अच्छा होता है। आइए अब जानते हैं गन्ने की इन 10 उन्नत किस्मों के बारे में।

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इक्षु -15 (सीओएलके 16466)

इक्षु -15 (सीओएलके 16466) किस्म से बेहतरीन उत्पादन हांसिल होगा। यह किस्म उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और असम राज्य के लिए अनुमोदित की गई है।

राजेंद्र गन्ना-5 (सीओपी 11438)

गन्ने की यह किस्म उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और असम के लिए अनुमोदित की गई है।

गन्ना कंपनी 18009

यह किस्म केवल तमिलनाडु राज्य के लिए अनुमोदित की गई है।

सीओए 17321

गन्ना की यह उन्नत किस्म आंध्र प्रदेश राज्य के लिए अनुमोदित की गई है।

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सीओ 11015 (अतुल्य)

यह किस्म बाकी किस्मों की तुलना में ज्यादा उत्पादन देती है। क्योंकि इसमें कल्लों की संख्या ज्यादा निकलती है। गन्ने की यह उन्नत किस्म आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की जलवायु के अनुकूल है।

सीओ 14005 (अरुणिमा)

गन्ने की उन्नत किस्म Co 14005 (Arunima) की खेती तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में बड़ी सहजता से की जा सकती है।

फुले गन्ना 13007 (एमएस 14082)

गन्ने की उन्नत किस्म Phule Sugarcane 13007 (MS 14082) की खेती तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक में बड़ी सहजता से की जा सकती है।

इक्षु -10 (सीओएलके 14201)

गन्ने की Ikshu-10 (CoLK 14201) किस्म को आईसीएआर के द्वारा विकसित किया गया है। बतादें, कि किस्म के अंदर भी लाल सड़न रोग प्रतिरोध की क्षमता है। यह किस्म राजस्थान, उत्तर प्रदेश (पश्चिमी और मध्य), उत्तराखंड (उत्तर पश्चिम क्षेत्र), पंजाब, हरियाणा की जलवायु के अनुरूप है।

इक्षु -14 (सीओएलके 15206) (एलजी 07584)

गन्ने की Ikshu-14 (CoLK 15206) (LG 07584) किस्म की खेती पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश (पश्चिमी और मध्य) और उत्तराखंड (उत्तर पश्चिम क्षेत्र) के किसान खेती कर सकते हैं।

सीओ 16030 (करन 16)

गन्ने की किस्म Co-16030, जिसको Karan-16 के नाम से भी जाना जाता है। इस किस्म को गन्ना प्रजनन संस्थान, करनाल के वैज्ञानिकों की ओर से विकसित किया गया है। यह किस्म उच्च उत्पादन और लाल सड़न रोग प्रतिरोध का एक बेहतरीन संयोजन है। इस किस्म का उत्पादन उत्तराखंड, मध्य और पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में बड़ी आसानी से किया जा सकता है।
गन्ने की कम लागत में अच्छी उपज देने वाली 5 शानदार किस्में

गन्ने की कम लागत में अच्छी उपज देने वाली 5 शानदार किस्में

भारत के अंदर विभिन्न वजहों से किसानों के बीच गन्ने की खेती का रुझान काफी बढ़ रहा है। गन्ना किसानों को भुगतान में नियमितता, गन्ने की कीमत में बढ़ोतरी और इथेनॉल तैयार करने में गन्ने का उपयोग जैसे कई कारण है जो गन्ने की खेती करने के लिए किसानों को प्रेरित कर रहे हैं। 

गन्ना एक ऐसी फसल है, जो तेज वर्षा, सूखा समेत समस्त प्रकार की मौसमी परिस्थितियों में भी बेहतरीन उपज देती है। वर्तमान में बसंतकालीन गन्ने की बुवाई का कार्य शुरू हो गया है। 

भारत में प्रति वर्ष फरवरी से लेकर मार्च माह के अंतिम सप्ताह तक गन्ना उत्पादक राज्यों के किसान गन्ने की बुवाई करते हैं। साथ ही, कृषि वैज्ञानिकों ने गन्ना कृषकों के लिए बहुत सारी ऐसी किस्में विकसित की हैं, जो किसानों को अधिक उपज देने में सक्षम हैं।

गन्ने की शानदार 5 किस्में इस प्रकार हैं   

1. COLK–14201 गन्ना की किस्म

गन्ना किस्म COLK–14201 को भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान ने तैयार किया है। गन्ने की यह किस्म एक रोग रहित प्रजाति है, इसमें किसी तरह का रोग नहीं लगता है। इसकी बिजाई अक्टूबर से मार्च माह तक की जा सकती है। गन्ने की यह किस्म गिरने के प्रति सहनशील होती है। 

इस किस्म में गन्ना नीचे से मोटा होता है। इसकी पोरी छोटी होती है एवं इस किस्म की लंबाई बाकी किस्मों की अपेक्षा कम होती है। गन्ने का वजन 2 से 2.5 किलो तक होता है। 17 प्रतिशत शर्करा देने वाली यह किस्म एक एकड़ में 400 से 420 क्विंटल तक उत्पादन देती है।

2. CO-15023 गन्ना की किस्म

यह गन्ने की एक ऐसी किस्म है जो कम समय यानी 8 से 9 महीने में तैयार हो जाती है। गन्ने की इस किस्म की बिजाई अक्टूबर से मार्च तक की जा सकती है। 

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गन्ने की लेट बिजाई में यह किस्म सबसे अधिक उपयुक्त है। इसकी बिजाई हल्की यानी रेतीली भूमि में भी कर सकते हैं। गन्ना किस्म CO-15023 को गन्ना प्रजनन संस्थान अनुसंधान केंद्र करनाल (हरियाणा) ने तैयार किया है। इसको CO-0241 और CO-08347 किस्म को मिलाकर तैयार किया गया है। 

इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता दूसरी प्रजातियों की तुलना में ज्यादा है। गन्ना की यह किस्म अच्छी पैदावार के कारण किसानों के बीच लोकप्रिय हो रही है। इसकी औसत पैदावार 400 से 450 क्विंटल प्रति एकड़ है।

3. COPB-95 गन्ना की किस्म

गन्ने की इस किस्म को ज्यादा पैदावार के लिए जाना जाता है। COPB-95 गन्ना किस्म प्रति एकड़ 425 क्विंटल की औसत पैदा देने में सक्षम है। गन्ने की इस किस्म को पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने विकसित किया है। यह किस्म लाल सड़न रोग व चोटी बेधक रोग के प्रति सहनशील है। 

यह किस्म खेती की लागत को कम करके किसानों के लाभ में इजाफा करती है। इसके एक गन्ने का भार लगभग 4 किलोग्राम तक हो सकता है। इस किस्म के गन्ने का आकार मोटा होने की वजह से इसका प्रति एकड़ 40 क्विंटल बीज लगता है।

4. CO–11015 गन्ना की किस्म

गन्ने की यह किस्म मुख्य रूप से तमिलनाडू के लिए तैयार हुई है। परंतु, इसकी बुवाई अन्य गन्ना उत्पादक राज्यों में भी की जा सकती है। इस किस्म की बिजाई का उपयुक्त समय अक्टूबर से नवंबर माह है। हालाँकि, अक्टूबर से मार्च तक भी इसकी बुवाई की जा सकती है। 

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यह गन्ने की एक अर्ली प्रजाति है और इसमें किसी तरह का कोई रोग नहीं लगता है। इसकी एक आंख से 15 से 16 गन्ने सुगमता से निकल सकते हैं। इसके एक गन्ने का समकुल वजन 2.5 से 3 किलो तक रहता है। 

CO–11015 गन्ना किस्म की औसत उपज 400 से 450 क्विंटल प्रति एकड़ मानी जाती है। इसके गन्ने में शर्करा की मात्रा 20% प्रतिशत तक होती है। किसान इस किस्म से कम लागत में ज्यादा उपज ले सकते हैं।

5. COLK-15201 गन्ना की किस्म

गन्ने की इस प्रजाति को भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ (उत्तरप्रदेश) के वैज्ञानिकों ने वर्ष 2023 में तैयार किया है। यह किस्म गिरने के प्रति सहनशील है और इसकी किसी भी क्षेत्र में बुवाई की जा सकती है। 

COLK-15201 गन्ना किस्म की बुवाई हरियाणा, राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश और पंजाब में नवंबर से मार्च माह के दौरान की जा सकती है। गन्ने की यह किस्म 500 क्विंटल प्रति एकड़ तक सुगमता से उपज देने में सक्षम है। बतादें, कि इस किस्म को इक्षु-11 के नाम से भी जाना जाता है। 

COLK-15201 की लंबाई काफी अधिक होती है और इसमें कल्लों का फुटाव भी बाकी किस्मों की अपेक्षा ज्यादा है। इसमें शर्करा की मात्रा 17.46% फीसद है, जो बाकी किस्मों की तुलना में अधिक है। यह किस्म ज्यादा उत्पादन देती है। यह नवीन किस्म पोका बोईंग, रेड रॉड और टॉप बोरर जैसे रोगों के प्रति सहनशील होती है।    

गन्ने के गुड़ की बढ़ती मांग : Ganne Ke Gud Ki Badhti Maang

गन्ने के गुड़ की बढ़ती मांग : Ganne Ke Gud Ki Badhti Maang

गन्ने की फसल किसानों के लिए बहुत ही उपयोगी होती है। गन्ने के गुड़ की बढ़ती मांग को देखते हुए किसान इस फसल को ज्यादा से ज्यादा उगाते है। गुड एक ठोस पदार्थ होता है। गुड़ को गन्ने के रस द्वारा प्राप्त किया जाता है। गन्ने की टहनियों द्वारा रस निकाल कर ,इसको आग में तपाया जाता है।जब यह अपना ठोस आकार प्राप्त कर लेते हैं, तब  हम इसे गुड़ के रूप का आकार देते हैं। गुड़  प्रकृति का सबसे मीठा पदार्थ होता है। गुड दिखने में हल्के पीले रंग से लेकर भूरे रंग का दिखाई देता है।

गन्ने के गुड़ की बढ़ती मांग (Growing demand for sugarcane jaggery)

गन्ने के गुड़ के ढेले और चूर्ण कटोरों में [ sugarcane jaggery (gud) in powder, granules and cube form ] किसानों द्वारा प्राप्त की हुई जानकारियों से यह पता चला है।कि किसानों द्वारा उगाई जाने वाली गन्ने गुड़ की फसल में लागत से ज्यादा का मुनाफा प्राप्त होता है।इस फ़सल में जितनी लागत नहीं लगती उससे कई गुना किसान इस फसल से कमाई कर लेता है।जो साल भर उसके लिए बहुत ही लाभदायक होते है।

भारत में गन्ने की खेती करने वाले राज्य ( sugarcane growing states in india)

भारत एक उपजाऊ भूमि है जहां पर गन्ने की फसल को निम्न राज्यों में उगाया जाता है यह राज्य कुछ इस प्रकार है जैसे : उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तरांचल, बिहार ये वो राज्य हैं जहां पर गन्ने की पैदावार होती है।गन्ने की फसल को उत्पादन करने वाले ये मूल राज्य हैं।

गन्ना कहां पाया जाता है (where is sugarcane found)

गन्ना सबसे ज्यादा ब्राजील में पाया जाता है गन्ने की पैदावार ब्राजील में बहुत ही ज्यादा मात्रा में होती है।भारत विश्व में दूसरे नंबर पर आता है  गन्ने की पैदावार के लिए।लोगों को रोजगार देने की दृष्टि से गन्ना बहुत ही मुख्य भूमिका निभाता है।गन्ने की फसल से भारी मात्रा में लोगों को रोजगार प्राप्त होता है तथा विदेशी मुद्रा की भी प्राप्ति कर सकते हैं।

गन्ने की खेती का महीना: (Sugarcane Cultivation Month)

कृषि विशेषज्ञों द्वारा गन्ने की फसल का सबसे अच्छा और उपयोगी महीना अक्टूबर-नवंबर से लेकर फरवरी, मार्च तक के बीच का होता है।इस महीने आप गन्ने की फसल की बुवाई कर सकते हैं और इस फसल को उगाने का यह सबसे अच्छा समय है।

गन्ने की फसल की बुवाई कर देने के बाद कटाई कितने वर्षों बाद की जाती है( After how many years after the sowing of sugarcane crop is harvested)

गुड़ के लिए गन्ने की कटाई [ ganne ki katai ] फसल की बुवाई करने के बाद, किसान  इस फसल से लगभग 3 वर्षों तक फायदा उठा सकते हैं। गन्ने की फसल द्वारा पहले वर्ष दूसरे व तीसरे वर्ष में आप गन्ने की अच्छी प्राप्ति कर सकते हैं। लेकिन उसके बाद यदि आप उसी फसल से गन्ने की उत्पत्ति की उम्मीद करते हैं। तो यह आपके लिए  हानिकारक हो सकता है।  इसीलिए चौथे वर्ष में इसकी कटाई करना आवश्यक होता है। कटाई के बाद अब पुनः बीज डाल कर गन्ने की अच्छी फसल का लाभ उठा सकते हैं।

गन्ने की फसल तैयार करने में कितना समय लगता हैं( How long does it take to harvest sugarcane)

अच्छी बीज का उच्चारण कर गन्ने की खेती करने के लिए उपजाऊ जमीन में गन्ने की फसल में करीबन 8 से 10 महीने तक का समय लगता है।इन महीनों के उपरांत किसान गन्ने की अच्छी फसल का आनंद लेते हैं।

गन्ने की फसल में कौन सी खाद डालते हैं( Which fertilizers are used in sugarcane crop)

ganna ke liye khad गन्ने की फसल की बुवाई से पहले किसान इस फसल में सड़ी गोबर की खाद वह कंपोस्ट फैलाकर जुताई करते हैं। मिट्टियों में इन खादो  को बराबर मात्रा में मिलाकर फसल की बुवाई की जाती है। तथा किसान गन्ने की फसल में डीएपी , यूरिया ,सल्फर, म्यूरेट का भी इस्तेमाल करते है।

गन्ने की फसल में  पोटाश कब डालते हैं( When to add potash to sugarcane crop)

किसान खेती के बाद सिंचाई के 2 या 3 दिन बाद , 50 से 60 दिन के बीच के समय में यूरिया की 1/3 भाग म्यूरेट पोटाश खेतों में डाला जाता है।उसके बाद करीब 80 से 90 दिन की सिंचाई करने के उपरांत यूरिया की बाकी और बची मात्रा को खेत में डाल दिया जाता है।

गन्ना उत्पादन में भारत का विश्व में कौन सा स्थान है (What is the rank of India in the world in sugarcane production)

गन्ना उत्पादन में भारत विश्व में दूसरे नंबर पर आता है। भारत सबसे बड़ा गन्ना उत्पादक करने वाला देश माना जाता है।इसका पूर्ण श्रय  किसानों को जाता है जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से भारत को विश्व का गन्ना उत्पादन का दूसरा राज्य बनाया है।

गन्ने में पाए जाने वाले पोषक तत्व ( nutrients found in sugarcane)

गन्ने में बहुत सारे पोषक तत्व मौजूद होते हैं जो हमारे शरीर को बहुत सारे फायदे पहुंचाते हैं। गर्मियों में गन्ने के रस को काफी पसंद किया जाता है। शरीर को फुर्तीला चुस्त बनाने के लिए लोग गर्मियों के मौसम में ज्यादा से ज्यादा गन्ने के रस का ही सेवन करते हैं। जिसको पीने से हमारा शरीर काम करने में सक्षम रहें तथा गर्मी के तापमान से हमारे शरीर की रक्षा करें। गन्ना पोषक तत्वों से भरपूर होता है तथा इसमें कैल्शियम  क्रोमियम ,मैग्नीशियम, फास्फोरस कोबाल्ट ,मैग्नीज ,जिंक पोटेशियम आदि तत्व पाए जाते हैं। इसके अलावा इसमें मौजूद आयरन विटामिन ए , बी, सी भी मौजूद होते है। गन्ने में काफी मात्रा में फाइबर,प्रोटीन ,कॉम्प्लेक्स  की मात्रा पाई जाती है गन्ना इन पोषक तत्वों से भरपूर है।

गन्ने की फसल में फिप्रोनिल इस्तेमाल ( Fipronil use in sugarcane crop)

fipronil गन्ने की अच्छी फसल के लिए किसान खेतों में फिप्रोनिल का इस्तेमाल करते हैं किसान खेत में गोबर की खाद मिलाने से पहले कीटाणु नाशक जीवाणुओं से खेत को बचाने के लिए फिप्रोनिल 0.3% तथा 8 - 10 किलोग्राम मिट्टी के साथ मिलाकर जड़ में विकसित करते हैं।जो गन्ने बड़े होते हैं उन में क्लोरोपायरीफॉस 20% तथा 2 लीटर प्रति 400 लीटर पानी मिलाकर जड़ में डालते हैं।

गन्ने की फसल में जिबरेलिक एसिड का इस्तेमाल ( Use of gibberellic acid in sugarcane crop)

गन्ने की फसल में प्रयोग आने वाला जिबरेलिक एसिड ,जिबरेलिक एसिड यह एक वृद्धि हार्मोन एसिड है।जिसके प्रयोग से आप गन्ने की भरपूर फसल की पैदावार कर सकते हैं। किसान इस एसिड द्वारा भारी मात्रा में गन्ने की पैदावार करते हैं।कभी-कभी गन्ने की ज्यादा पैदावार के लिए किसान इथेल का भी प्रयोग करते है। इथेल100पी पी एम में गन्ने के छोटे छोटे टुकड़े  डूबा कर रात भर रखने के बाद इसकी बुवाई से जल्दी कलियों की संख्या निकलने लगती है।

गन्ने की फसल में जिंक डालने के फायदे( Benefits of adding zinc to sugarcane crop)

जिंक सल्फेट को ऊसर सुधार के नाम से भी जाना जाता है।इसके प्रयोग से खेतों में भरपूर मात्रा में उत्पादन होता है। फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए जिंक बहुत ही उपयोगी है।जिंक के इस्तेमाल से खेतों की मिट्टियां भुरभुरी होती हैं तथा जिंक खेतों की जड़ों को मजबूती अता करता है।

गन्ने की फसल की प्रजातियां ( varieties of sugarcane)

ganne ki variety आंकड़ों के अनुसार गन्ने की फसल की प्रजातियां लगभग 96279 दर बोई जाती है। गन्ने की यह प्रजातियां किसानों द्वारा बोई जाने वाली गन्ने की फसलें हैं। हमारी इस पोस्ट के जरिए आपने गन्ने की बढ़ती मांग के विषय में पूर्ण रूप से जानकारी प्राप्त कर ली होगी।जिसके अंतर्गत आपने और भी तरह के गन्ने से संबंधित सवालों के उत्तर हासिल कर लिए होंगे। यदि आप हमारी इस पोस्ट द्वारा दी गई जानकारियों से संतुष्ट है तो ज्यादा से ज्यादा हमारी इस पोस्ट को सोशल मीडिया या अन्य जगहों पर शेयर करें।